चंद्रप्रभा वटी आयुर्वेद ग्रंथों में लिखी हुई एक चमत्कारी औषधि है आयुर्वेद के अंतर्गत आने वाली सभी औषधियों में चंद्रप्रभा वटी अपना एक अलग ही स्थान रखती है |
चंद्रप्रभा वटी मूत्रमार्ग जन्य रोग जननांग संबंधी रोग, लीवर संबंधी रोग, किडनी संबंधी रोग, महिलाओं के अनियमित मासिक चक्र, डायबिटीज, जोड़ों के दर्द एवं यूरिक एसिड अधिक मात्रा bacterial infection इत्यादि में अत्यंत लाभकारी औषधि है।
स्त्री संबंधी रोग एवं पुरुष के शुक्र संबंधी रोगो में अत्यंत लाभकारी है।
चंद्रप्रभा वटी के घटक द्रव्य
चद्रप्रभा वचा मुस्तं भूनिम्बामृतदारुकम्।
हरिद्रा।तिविषादार्वी पिप्पलीमूलचित्रकौ।।
धान्यकं त्रिफला चव्यं विडङ्गं गजपिप्पली।
व्योषं माक्षिकधातुश्च द्वौ क्षारौ लवणत्रयम्।।
एतानि शाणमात्राणि प्रत्येकं कारयेद् बुध।
त्रिवृद्दन्ती पत्रकं च त्वगेला वंशरोचना।।
प्रत्येकं कर्षमात्राणि कुर्यादेतानि बुद्धिमान्।
द्विकर्षं हतलोहं स्याच्चतुष्कर्षा सिता भवेत्।।
शिलाजत्वष्टकर्षं स्यादष्टौ कर्षाश्च गुग्गुलो।
एभिरेकत्र संक्षुण्णै कर्त्तव्या गुटिका शुभा।।
चद्रप्रभेति विख्याता सर्वरोगप्रणाशिनी।
प्रमेहान्विंशतिं कृच्छं मूत्राघातं तथाश्मरीम्।।
विबन्धानाहशूलानि मेहनं ग्रन्थिमर्बुदम्।
अण्डवृद्धिं तथा पाण्डुं कामलां च हलीमकम्।।
आत्रवृद्धिं कटीशूलं श्वासं कासं विचर्चिकाम्।
कुष्ठान्यर्शांसि कण्डूं च प्लीहोदरभगन्दरम्।।
दन्तरोगं नेत्ररोगं त्रीणामार्त्तवजां रुजम्।
पुटंसां शुक्रगतान्दोषान्मन्दाग्निमरुचिं तथा।।
वायुतं पित्तं कपैं हन्याद् बल्या वृष्या रसायनी।
चद्रप्रभायां कर्षस्तु चतुशाणो विधीयते।। (शार्ङ्ग.म.ख.7/40-49)
चंद्रप्रभा वटी के घटक द्रव्य
1 चन्द्रप्रभा (शटी/कर्चूर) (Hedychium spicatium Buch-Ham). 3 ग्राम
2. वचा (Acorus calamus Linn.). 3 ग्राम
3. मुस्ता (Cyperus rotundus Linn.) 3 ग्राम
4.भूनिम्ब (किराततिक्त) (Swertia chirayita Roxb.ex.Flem.Karst.). 3 ग्राम
5.अमृता (गुडुची) (Tinospoera cordifolia ). 3 ग्राम
6 दारुक (देवदारु) (Cedrus deodara .) 3 ग्राम
7 हरिद्रा (Curcuma longa Linn.). 3 ग्राम
8 अतिविषा (Aconitum heterophylum) 3 ग्राम
9 दार्वी (दारुहरिद्रा) (Berberis aristata ). 3 ग्राम
10 पिप्पलीमूल (Piper longum Linn.). 3 ग्राम
11 चित्रक (Plumbago zeylanica Linn.) 3 ग्राम
12. धान्यक (Coriandrum sativum ) 3 ग्राम
13. हरीतकी (Terminalia chebula ). 3 ग्राम
14. बिभीतक (Terminali bellirica .). 3 ग्राम
15. आमलकी (Emblica officinalis . 3 ग्राम
16. चव्य (Piper retrofractum.). 3 ग्राम
17 विडङ्ग (Embella ribes .) 3 ग्राम
18 गजपिप्पली (Piper longum .). 3 ग्राम
19 सोंठ (Zingiber officinale .). 3 ग्राम
20 काली मिर्च (Piper nigrum .). 3 ग्राम
21. स्वर्णमाक्षिक भस्म 3 ग्राम
22. यवक्षार (यव) 3 ग्राम
23. सज्जीक्षार 3 ग्राम
24. सैंधव लवण 3 ग्राम
25. सौवर्चल लवण 3 ग्राम
26. विड लवण 3 ग्राम
27. त्रिवृत 12 ग्राम
28. दन्ती (Baliospermum montanum)12 ग्राम
29 पत्रक (तेजपत्र) (Cinnamomum tamal)12 ग्राम
30 दालचीनी (Cinnamomum zeylanicum) 12 ग्राम
31. एला (Elettaria cardmomum ) 12 ग्राम
32. पिप्पली (Piper longum ) 3 ग्राम
33. वंशलोचन (Bambusa ) 12 ग्राम
34 लौह भस्म 24 ग्राम
35 सिता (मिश्री) 48 ग्राम
36 शिलाजीत 96 ग्राम
37. गुग्गुलु 96 ग्राम
वैद्यनाथ चंद्रप्रभा वटी बनाने की विधि
चंद्रप्रभा वटी बनाने के लिए सबसे पहले उपर बताये अनुसार सभी औषधियों को इनकी बताई गयी मात्रा के अनुसार एक साथ मिलाकर चूर्ण बनाकर सभी को मिला ले | ध्यान रहे गुग्गुल को कूटते समय यह ध्यान रखे की यह थोडा मुलायम हो जाता है |
इसके बाद सभी को एक साथ मिलाकर गिलोय स्वरस डालकर अच्छे से खरल या इमाम दस्ते में मर्दन करे | जब मर्दन करते करते इसमे सूखा पन आने लग जाये तब लगभग 500 मिग्रा की गोलियां बना ले |
गोलियों को कांच की बोतल में भरकर रखने से अधिक सुरक्षित रहती है | इस प्रकार यह यह वटी बनाने की सरल विधि द्वारा आप घर पर ही बड़ी आसानी से चंद्रप्रभा वटी बना कर सेवन कर सकते है |
चंद्रप्रभा वटी के लाभ/फायदे
आयुर्वेद की महत्वपूर्ण औषधि चंद्रप्रभा वटी को रसायन चिकित्सा के रूप में अपनाया जाता रहा है |
किडनी सम्बन्धी रोगों में चंद्रप्रभा वटी के फायदे
किडनी संबंधी विकारों मे जैसे किडनी स्टोन यूनिट ट्रैक्ट इनफेक्शन बार-बार पेशाब आना पेशाब में जलन होना मूत्र संबंधी सभी विकारों में यह लाभकारी है
स्त्री रोगों में चन्द्रप्रभा वटी के फायदे
सभी प्रकार के स्त्री रोगों में जैसे मासिक धर्म की अनियमितता मासिक धर्म के समय ज्यादा पीड़ा होना पीसीओडी डिसऑर्डर श्वेत प्रदर रोग एवं जननांगों में बैक्टीरियल इनफेक्शन पैरों में सूजन थकान इत्यादि रोगों में लाभकारी है
प्रमेह में फायदेमंद है चंद्रप्रभा वटी
इस वटी से लगभग 20 प्रकार के प्रमेह में फायदे मंद साबित होती है | मधुमेह में तो चंद्रप्रभा वटी अत्यंत ही लाभकारी है | यह मधुमेह के रोगियों में बार-बार पेशाब आना, पेशाब में जलन होना, पेशाब के साथ धात का गिरना, रक्त में शर्करा की अधिक मात्रा होना, पुरुषों में शुक्र संबंधी विकारों, में प्रीमेच्योर इजेकुलेशन (शीघ्रपतन) में, स्वप्नदोष इत्यादि रोगों में यह वटी अत्यंत लाभकारी है।
चंद्रप्रभा वटी के अन्य फायदे
प्लीहा वृद्धि, अर्श, अग्निमान्ध्य, शारीरिक कमजोरी, सभी प्रकार के दर्दो में, वीर्य सम्बन्धी विकारो, श्वास रोग और खासी, गर्भाशय शोधन करने आदि में यह वटी लाभदायक परिणाम देती है |
चंद्रप्रभा वटी के नुकसान
सामान्यता अभी तक इसका कोई भी दुष्प्रभाव शरीर पर देखने को नहीं मिला है | परंतु कभी-कभी बिना चिकित्सक परामर्श के लेने पर कुछ अन्य रोग होने पर दुष्प्रभाव देखने को मिल सकते है।
अच्छी क्वालिटी की चंद्रप्रभा वटी मंगवाने के लिए आप हमसे संपर्क कर सकते हैं।
सेवन करने की विधि
चंद्रप्रभा वटी 500 से 1000 मिलीग्राम आयुर्वेदिक चिकित्सक के परामर्श अनुसार लें। अर्थात 2-2 गोली दूध के साथ या चिकित्सक के बताये अनुसार सेवन करे |
References:-शारंगधर संहिता , आयुर्वेद सार संग्रह
Dr R.K Saini
(रिसर्च एसोसिएट सीसीआरएएस) / विजिटिंग कंसलटेंट श्री दयाल नैचुरल स्पाइन केयर जयपुर