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नपुंसकता के 101 आयुर्वेदिक उपचार

नपुंसकता के 101 आयुर्वेदिक उपचार

नपुंसकता के 101 आयुर्वेदिक उपचार : आज पहली इस आर्टिकल में पहली बार आपको पढने को मिलेंगे नपुंसकता के 101 आयुर्वेदिक उपचार एक साथ एक ही जगह पर | दोस्तों आपमें से बहुत से लोगो के instagram इनबॉक्स में मैसेज आते रहते है की सर नपुंसकता का आयुर्वेदिक उपचार बताएं | साथ ही बहुत से लोगो की यह बहुत ही ज्वलंत समस्या बनी हुई है | यदि भारत सरकार के ऑफिसियल आंकड़ो की बात करे तो पुरुष इनफर्टिलिटी 36 प्रतिशत आंकी गयी है ऐसे में आप अनुमान लगा सकते हो की वर्तमान और आगामी पीढ़ी की दिनचर्या कैसी है इस दिनचर्या के चलते नपुंसकता, नामर्दी इनफर्टिलिटी के आंकड़े और तीव्र गति से बढ़ने की संभावना है

नपुंसकता के 101 आयुर्वेदिक उपचार

ऐसे में आज इस आर्टिकल में आपको बतायेंगे नामर्दी, नपुंसकता के 101 आयुर्वेदिक उपचार जिनका सेवन करके आप नपुंसकता जैसी समस्या से अपने आप को सुरक्षित रख सकते है |

नपुंसकता क्या है ?

जो पुरुष अपनी मनचाही सुन्दर, स्त्री या कन्या से मैथुन करने की लालसा मन में रखता हो और उसके साथ कभी मैथुन ना कर पाया हो या कभी मैथुन करे तो पसीनो में भीग जाये, सांसे फूलने लगे, या पेनिस में उत्तेजना ही उत्पन्न ना हो, सम्भोग की चेष्टा करने पार भी पेनिस में तनाव उत्पन्न ना हो ऐसे व्यक्ति कहने मात्र के मर्द होते है | बल्कि ऐसे व्यक्तियों को ही नपुंसकता ग्रस्त समझा जाता है | नपुसंकता के लिए स्पर्म सबसे प्रमुख जिम्मेदार होता है | इसी लिए आप आगे जानोगे नपुंसकता के 101 आयुर्वेदिक उपचार जिनके माध्यम से वीर्य शुद्धि करके नपुंसकता को ठीक किया जाता है |

नपुंसकता के प्रकार

नपुंसकता को लेकर आयुर्वेद आचार्यो और ग्रंथो में अलग-अलग विचार है –

भाव प्रकाश के अनुसार – क्लीव: स्यात्सुरता शक्तस्तदभाव: क्लैवन्यमुच्यते |

तच्च सप्तविधं प्रोक्तं निदानम् तस्य कथ्यते ||

अर्थात जो भी व्यक्ति किसी स्त्री के साथ सम्भोग नहीं कर सकता उसे क्लीव अर्थात नपुंसक कहा जाता है |नपुंसकता आयुर्वेदानुसार सात प्रकार की होती है – 1. मानसिक 2. पित्तज क्लैव्य 3. वीर्यजन्य 4. रोग जन्य 5. शिराच्छेदजन्य 6. शुक्रस्तम्भजन्य 7. सहज

आचार्य सुश्रुत के अनुसार नपुंसकता के भेद

आचार्य सुश्रुत ने नपुंसकता के पांच भेद बताये है – जिनमे से आगे संक्षिप्त वर्णन के साथ समझाया जा रहा है !

  1. आसेक्य नपुंसक – जिन लोगो की शारीरिक स्थिति कमजोर होने पर वीर्य कम होने पर भी गर्भ ठहर जाता है उस स्थिति में जन्म लेने वाला बच्चा आसेक्य नपुंसक पैदा होने की अधिक संभावना रहती है | ऐसी अवस्था में पैदा हुआ लड़का गे अर्थात अन्य पुरुषो से अपने मुख में मैथुन करवाता है | ऐसे व्यक्ति को मुख योनी कहा जाता है |
  2. ईर्ष्यक नपुंसक :- जो व्यक्ति स्वम् से सम्भोग नहीं कर पाता है किन्तु किसी और को सम्भोग करते हुए देखकर मैथुन कार्य के लिए तैयार हो जाता है और सम्भोग कर पाता है ऐसे पुरुषो को ईर्ष्यक नपुंसक या दुग्योनि कहा जाता है |
  3. कुम्भिक नपुंसक :- जो पुरुष स्वम् गुदा मैथुन कराये अपनी स्त्री से सम्भोग नहीं कर सकता उन्हें कुम्भिक नपुंसक कहते है |
  4. महाषंठ नपुंसक :- जो पुरुष ऋतुकाल में नीचे लेटकर स्त्री को अपने उपर लेटाकर सम्भोग करता है और उस दौरान गर्भ ठहर जाता है तो महाषंठ नपुंसक बच्चा पैदा होता है | उसकी इच्छाए स्त्रियों के समान होती है |
  5. सौगन्धिक नपुंसक :- जो पुरुष दुष्ट योनी से पैदा होता है उसके पेनिस में तनाव लाने के लिए उसको किसी स्त्री की योनी या किसी पुरुष के लिंग को सूंघने से तनाव आता हो सौगन्धिक नपुंसक कहा जाता है |

ध्यान रहे महाषंठ को छोड़कर बाकि सभी नपुन्सको में वीर्य की उपस्थिति होती है |

आचार्य चरक के अनुसार नपुंसकता के प्रकार

महर्षि चरक ने नपुंसकता के 4 प्रकार बताये है –

  1. बीजोपघात क्लीव :- जिस पुरुष के वीर्य में किसी प्रकार का विकार उत्पन्न हो जाने के कारण वो सम्भोग नहीं कर सकता है | ऐसे लोगो के स्पर्म का रंग पीलापन लिए हुए होता है शरीर बहुत ही क्षीण अर्थात कमजोर पड़ जाता है | शरीर ऐसा दिखने लगता है जैसे पीलिये हो गया हो, श्वास फूलने लगता है ऐसे लोगो को बीजोपघात क्लीव कहा जाता है |
  2. . ध्वजभंग क्लीव :- ऐसे पुरुषो के लिंग पर लालिमा, फुन्सिया, सुजन और दर्द होता रहता है पेनिस से काला और लाल रंग का द्रव निकलता है साथ ही पेनिस में जलन बनी रहती है और अंडकोष में जलन के साथ जांघो में दर्द बना रहता है | लगातार दर्द बना रहने से पेनिस में कीड़े भी पड़ जाते है ऐसे में लिंग सिकुड़कर गोल मटोल हो जाता है |
  3. जरासम्भव क्लीव :- ये अवस्था बुढ़ापे में अधिक देखने को मिलती है जिससे बहुधा वीर्य क्षीण हो जाता है इसलिए पुरुष नपुंसक हो जाता है |
  4. वीर्य क्षय क्लीव :- यह समस्या उन लोगो को अधिक देखने को मिलती है जिनको अत्यंत चिंता, अत्यंत दुःख,डर के साथ अधिक गुस्सा करने वाला पुरुषो को सामन्यत: देखा जाता है |
    • आचार्य वाग्भट्ट जी का कथन है कि – शुद्ध शुक्रार्तावं स्वस्थं संरक्ते मिथुने मिथ:
    • अर्थात पुरुष का वीर्य और स्त्री का आर्तव शुद्ध हो एवम् शरीर में कोई रोज ना हो ऐसी अवस्था होने पर ही बच्चा प्लान करे ऐसा करने पर स्वस्थ संतानोत्पत्ति होती है |

नपुंसकता के 101 आयुर्वेदिक उपचार

नपुंसकता क्या है ? नपुंसकता के प्रकार आदि के बारे में जानने के बाद अब बात करेंगे आज के इस आर्टिकल के सबसे महत्वपूर्ण पहलु नपुंसकता के 101 आयुर्वेदिक उपचार के बारे में विस्तार से जिनका सेवन करके नपुंसकता से बचा जा सकता है साथ ही नपुंसकता हो चुकी है तो लम्बे समय तक आयुर्वेदिक चिकित्सक स्व परामर्श लेकर यदि इनका सेवन किया जाये तो आप इस ज्वलंत समस्या से छुटकारा पा सकते हो –

  1. त्रिलोक्य सम्मोहन रस – त्रिलोक्य सम्मोहन रस का सेवन 125-250 मिग्रा की मात्रा में दूध के साथ करने से नपुंसकता में लाभ मिलता है |
  2. त्रिलोक्य चिंतामणि रस – 125-250 मिग्रा की मात्रा में गोदुग्ध के साथ दिन में दो बार सेवन करने से यह बल्य, नपुंसकता हर होने के साथ ही वात रोगों में विशेष लाभदायक सिद्ध होता है |
  3. बृहत स्वर्ण बसंत मालती रस – इनफर्टिलिटी में इसका सेवन च्यवनप्राश दूध,के साथ कराने से शारीरिक बल में वृद्धि होकर नपुंसकता का नाश करता है | मात्रा मात्रा
  4. बसंत कुसुमाकर रस – 125-250 मिग्रा की मात्रा में इसका सेवन अगर, सफेद चन्दन, दूध के साथ करने से नपुंसकता में विशेष लाभदायक परिणाम देता है |
  5. मंमंथाभ्र रस – जिन पुरुषो में शुक्र का क्षय अर्थात शुक्र की कमी हो चुकी हो ऐसे रोगियों को दूध के साथ सेवन करवाने से लाभ मिलता है |
  6. स्वर्ण सिंदूर – 1-2 गोली दूध के साथ सुबह शाम सेवन करने से लाभ मिलता है |
  7. अमृत रसायन – जिन लोगो में ध्वजभंग की समस्या हो रही हो ऐसे रोगियों को अमृत रसायन 250-500 मिग्रा दिन में दो बार गाय के दूध के साथ सेवन करने से से ध्वजभंग के साथ नपुंसकता में आराम मिलता है |
  8. वैक्रांत रसायन – वृधावस्था में होने वाली नपुंसकता को ठीक करने के लिए वैक्रांत रसायन से बेहतर अन्य कोई विकल्प नहीं है | नपुंसकता में इसका सेवन 250 मिग्रा की मात्रा में शहद या दूध के साथ करवाने से विशेष लाभदायक परिणाम मिलते है |
  9. विशुद्ध हिंगुल रस – ध्वजभंग में विशेष लाभदायक परिणाम देने वाली आयुर्वेदिक औषधि है |
  10. माणिक्य मिहिरोदय रसायन – 250 मिग्रा को दूध इ साथ सेवन करने से जराजन्य नपुंसकता में लाभ मिलता है |
  11. पुष्पधन्वा रस – नपुंसकता के 101 आयुर्वेदिक उपचार में पुष्पधन्वा बहुत ही फायदेमंद साबित हो सकता है | इसका सेवन 2-2 गोली दूध के साथ करने से पेनिस में तनाव की समस्या में राहत मिलती है |
  12. वृहत्पूर्ण चन्द्ररस – 125 मिग्रा की मात्रा में ताम्बुल में देने से लाभ मिलता है |
  13. चंद्रोदय रस – जिन पुरुषो में शुक्र के क्षीण होने से नपुंसकता उत्पन्न हुई है उनके लिए नपुंसकता के 101 आयुर्वेदिक उपचार के रूप में 250 मिग्रा की मात्रा में दूध के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है |
  14. कामेश्वर रस – शुक्र वृद्धि करने के साथ ही पेनिस में तनाव लाने में अत्यंत महत्वपूर्ण परिणाम देता है | 250 मिग्रा की मात्रा में दूध के साथ सेवन करने से नपुंसकता में लाभ मिलता है |
  15. मकरध्वज – 250 मिग्रा की मात्रा में शहद मिले दूध के साथ सेवन करने से शुक्र धातु पुष्ट होती है |
  16. वृहत्काम चूड़ामणि रस – इसका सेवन क्लैव्य हर अर्थात नपुंसकता को ठीक करने वाला है वृहत्काम चूड़ामणि रस का सेवन दूध शहद के साथ 125-250 मिग्रा की मात्रा में करने से नपुंसकता में लाभ मिलता है |
  17. शुक्र वल्लभ रस – 125- 250 मिग्रा की मात्रा में दूध या शहद के साथ सेवन करने से नपुंसकता में लाभ मिलता है | यहा पढ़े – शुक्र वल्लभ रस के फायदे
  18. हर गौरी रस – 125-250 मिग्रा की मात्रा में गोक्षुरादी क्वाथ के साथ सेवन करवाने से लाभ मिलता है साथ ही ध्यान रखे यदि आपकी पित्त पृकृति है तो इसके सेवन से बचना चाहिए |
  19. कामिनी विद्रावण रस – इसका सेवन मुख्यत: स्तंभन दोष की चिकित्सा में करवाया जाता है | 125 मिग्रा की मात्रा में दिन में दो बार सेवन करे | यहाँ पढ़े – कामिनी विद्रावण रस के फायदे
  20. मल्ल सिंदूर – 65-125 मिग्रा की मात्रा में दिन में दो बार शहद के साथ सेवन करे ध्यान रहे मल्ल सिंदूर का सेवन भी पित्त पृकृति वाले रोगियों को नही करना चाहिए |
  21. हीरक भस्म – 65 मिग्रा की मात्रा में शहद के साथ सेवन करने से शुक्र धातु पुष्ट होकर नपुंसकता में लाभ मिलता है |
  22. रोप्य भस्म – नपुंसकता में नसों को पुष्ट बनाने में लाभदायक होने से नपुंसकता नाशक का काम करती है | साथ ही वात वाहिनियों के संकोच को दूर करता है |
  23. स्वर्ण भस्म – स्वर्ण भस्म सभी प्रकार के सेक्स रोगों में लाभकारी है क्योंकि स्वर्ण भस्म के सेवन से सभी सप्त धातु पुष्ट होती है | नपुंसकता में इसका सेवन 65 मिग्रा की मात्रा में विदारीकंद के साथ करने से लाभ मिलता है |
  24. वंग भस्म – 250-500 मिग्रा दिन में दो बार अपामार्ग काढ़ा या गाय के दूध के साथ लेने से शुक्र धातु पोषक होती है |
  25. लौह भस्म – 250-500 मिग्रा तक दिन में दो बार गाय के दूध के साथ सेवन करने से बल्य, और वीर्य की वृद्धि होती है | बल और वीर्य वृद्धि होने से नपुंसकता में आराम मिलता है |
  26. अभ्रक भस्म – 65- 125 मिग्रा की मात्रा में गाय के दूध से सेवन करने से ज्ञानतंतु और वात वाहिनियों की कार्य क्षमता में सुधार होता है |
  27. पारद भस्म – आयुर्वेद शास्त्रों में पारद को अत्यंत शक्तिशाली औषधि माना गया है पारद भस्म को 65 मिग्रा की मात्रा में दूध के साथ सेवन करने से नपुंसकता में श्रेष्ट परिणाम देखे जाते है |
  28. कर्णिकार वटी – 1-2 वटियो का सेवन दुध के साथ नियमित 21 दिन तक प्रयोग करने से नपुंसकता में लाभ मिलता है |
  29. शिलाजत्वादी वटी – 125-250 मिग्रा की मात्रा में शहद और दूध के साथ सेवन किया जाये तो यह वीर्यदोष की श्रेष्ट औषधि के रूप में कार्य करती है | इसका सेवन नपुंसकता के 101 आयुर्वेदिक उपचार के रूप में बहुत बेहतर परिणाम दायक सिद्ध हो सकते है |
  30. शिवा गुटिका – शिवा गुटिका को उत्तम वीर्य दोष हर आयुर्वेदिक औषधि माना गया है | 125-250 मिग्रा की मात्रा में दूध के साथ सेवन करने से नपुंसकता में लाभ मिलता है |
  31. चंद्रप्रभा वटी – इसा सेवन अन्य औषधियों के मिश्रण के साथ करने [पर अधिक लाभ देती है | 2-2 गोली दूध के साथ सेवन करने से नामर्दी में लाभदायक है |
  32. नारसिंह चूर्ण – जिन रोगियों का शुक्र क्षीण अर्थात दुर्बल हो गया हो ऐसे रोगियों के लिए नारसिंह चूर्ण का 3-5 ग्राम की मात्रा में दिन में दो बार दूध में घी मिलाकर सेवन करने से शुक्र क्षीणता में बेहतरीन परिणाम मिलता है |
  33. वैक्रांत भस्म – 65-125 मिग्रा की मात्रा में गाय के दूध के साथ दिन में दो बार सेवन करने का विधान शास्त्रों में बताया गया है | वैक्रांत भस्म के सेवन से बुढ़ापे में होने वाली नपुंसकता में लाभ मिलता है |
  34. गोक्षुर चूर्ण – 3-5 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ सेवन करने से शुक्र धातु पुष्ट होती है |
  35. शतावर्यादी चूर्ण – 45 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ सेवन करने से शुक्र दुर्बलता जन्य नपुंसकता में लाभ मिलता है |
  36. वृद्धदण्ड चूर्ण – 3-5 ग्राम की मात्रा में दिन में दो बार बकरी के दूध के साथ सेवन करने से दुर्बल हुए शुक्र धातु को पुष्ट करता है |
  37. अश्वगंधादी चूर्ण – गाय के दूध के साथ सेवन करने से नर्वस सिस्टम मजबूत होता है साथ ही शुक्र धातु का पोषण होने से नपुंसकता में लाभ प्रदान करता है
  38. अश्वगंधारिष्ट – अधिक शुक्र दुर्बल होने पर अश्वगंधारिष्ट 15-20 मिली की मात्रा में समान मात्रा में जल मिलाकर खाने के बाद सेवन करने से नपुंसकता के 101 आयुर्वेदिक उपचार के रूप में सहायक सिद्ध होती है |
  39. चन्दनासव – नपुंसकता में चन्दनासव का सेवन शरीर में बढ़ी हुई गर्मी को शांत करता है अर्थात बढ़े हुए पित्त को कम करता है | इसके सेवन की विधि 15-20 मिली खाने के बाद बराबर पानी मिलाकर सेवन करना चाहिए |
  40. द्राक्षासव -दुर्बल हुए शरीर में बल बढ़ाने अर्थात ताकत बढ़ाने के ;लिए द्राक्षासव को 15-20 मिली की मात्रा में खाने के बाद बराबर मात्रा में पानी मिलाकर सेवन करना चाहिए |
  41. वाजीकरण घृत – जिन लोगो की वाजीकरण शक्ति हा हास हो चूका हो अर्थात लिंग में तनाव नहीं आता हो ऐसे लोगो की नपुंसकता में वाजीकरण घृत को 5 ग्राम की मात्रा में पान के पत्ते पर लगाकर सेवन करने से शीघ्रपतन की समस्या से छुटकारा मिलकर नपुंसकता ठीक हो सकती है |
  42. गोधुमादी घृत – नपुंसकता में 5-10 ग्राम की मात्रा में दिन में दो बार दूध के साथ सेवन करने से लाभ होता है |
  43. कामदेव घृत – जैसे की नाम से ही प्रतीत हो जाता है कामदेव सम्भोग के देवता | कामदेव घृत का सेवन सुबह शाम एक चम्मच की मात्रा में दूध के साथ करने से वाजीकरण शक्ति बढ़ जाती है वाजीकरण शक्ति बढ़ जाने से नपुंसकता में आराम मिलता है |
  44. दशमूलारिष्ट – किसी भी कारण से शरीर में उत्पन्न हुई दुर्बलता को सुधारने में दशमूलारिष्ट का सेवन 15-20 मिली की मात्रा में बराबर पानी मिलाकर करने से नपुंसकता में आराम मिलता है |
  45. अश्वगंधा घृत – अश्वगंधा घृत शारीरिक व मानसिक बल को बढ़ाने में प्रभावी होता है | इसका सेवन करने से नसों में ताकत मिलती है जो नपुंसकता में लाभदायक होता है | 1 चम्मच अश्वगंधा घृत का सेवन दूध के साथ करने से फायदेमंद साबित होता है |
  46. अमृतप्राश घृत -5 ग्राम की मात्रा में दिन में दो बार दूध के साथ सेवन करने से नपुंसकता से बहार निकलने का कार्य करता हाउ |
  47. वृहत शतावरी घृत – इसके सेवन की सही विधि एक चम्मच की मात्र में दूध के साथ खाने से पहले करना अधिक लाभ दायक होता है |
  48. पूगपाक – पूगपाक का सेवन करने से बल्य, पोष्टिक होने के साथ ही नपुंसकता हो हरण करने वाला होता है 5 ग्राम की मात्रा में दिन में दो बार गाय के दूध के साथ सेवन करने से नपुंसकता का नाश होता है |
  49. केसरपाक – केसरपाक का सेवन नपुंसकता हर का काम करता है एक चम्मच सुबह शाम दूध के साथ करने से नपुंसकता ठीक हो सकती है |
  50. आम्रपाक -एक चम्मच की मात्रा में दूध के साथ सेवन करने से शरीर में बल की वृद्धि होती है जो की नपुंसकता को ठीक करने में श्रेष्ट है |
  51. सालमपाक – सालमपाक आप सबका जाना पहचाना औषधि है ऐसे सालमपाक का 5 ग्राम गाय के दूध के साथ सेवन करने का विधान बताया गया है |
  52. कौन्चपाक– कौंचपाक आप में से अधिकतर लोगो ने सेवन किया हुआ होगा लेकिन आपको बता दे कौंचपाक नपुंसकता को ठीक करने में भी प्रभावी परिणाम देता है |
  53. बादामपाक – शरीर को पोषण देने वाला पाक इसका सेवन लोग सामान्य तौर पर पर शरीर का बल बढ़ाने के लिए भी करते है | नपुंसकता में इसका सेवन 15-20 ग्राम दूध के साथ करने से लाभ मिलता है |
  54. च्यवनप्राश – शरीर में ताकत बढ़ाने के लिए सर्दियों में अक्सर लोग इसका सेवन करते है | अधिक बल प्रदान करने के कारण यह नपुंसकता में भी लाभदायक होता है |
  55. दिवालमुश्क – दिन में दो बार 5 ग्राम दूध के साथ सेवन करने से क्लैव्य हर का कार्य करता है |
  56. अमृत भल्लातक – 5 ग्राम की मात्रा मे सेवन करना नपुंसकता में लाभदायक होता है |
  57. मदन मोदक – अत्यंत बल प्रदान करने वाला मदन मोदक का सेवन दिन में दो बार दूध के साथ करने से नपुंसकता में लाभ मिलता है |
  58. खंडाभृक -दिन में दो बार खाना खाने से पहले 5 ग्राम मी मत्रा में दूध के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है |
  59. मल्ल तेल – जिन लोगो का पेनिस कमजोर हो गया हो उनके लिए मल्ल तेल से दूध मिलाकर मालिश करने से ध्वजभंग में लाभ मिलता है
  60. श्री गोपाल तेल -गोपाल तेल को पेनिस की नसों की कमजोरी के लिए मालिश के रूप में उपयोग किया जाता है | 10 मिली गोपाल तेल में 20 मिली दूध मिलाकर मालिश करने से लाभ मिलता है | यहा पढ़े – Shri Gopal Tel Ke Fayde – श्री गोपाल तेल के फायदे, गुण, घटक एवं उपयोग का तरीका
  61. महा चंदनादी तेल – दिन में दो बार मालिश करे लिंग में तनाव की समस्या से जनित नपुंसकता में लाभ मिलता है |
  62. ब्रह्म रसायन – 20 ग्राम की मात्रा में दिन में दो बार सुबह शाम दूध के साथ सेवन करने से नपुंसकता में आराम मिलता है |
  63. मधुक लेह -सुबह शाम 5 ग्राम दूध के साथ सेवन करना लाभदायक होता है |
  64. कामध्वज तेल -ध्वजभंग में अत्यंत लाभदायक होता है | 20 मिली दिन में दो बार दूध के साथ अभ्यंग करे |
  65. महा सुगन्धित तेल -दिन में दो बार मालिश करने से नपुंसकता में लाभ मिलता है |
  66. मन्मथ तेल -जैसे की मंमंथाभ्र रस के फायदे है वैसे लिंग में तनाव की समस्या होने पर इससे अभ्यंग करने पर लाभ मिलता है |
  67. मृगमद तेल – दिन में दो बार मालिश करने से लाभ मिलता है |
  68. मूसली पाक – शरीर में ताकत बढ़ाने के लिए दिन में दो बार दूध के साथ सेवन करने से नपुंसकता में लाभ मिलता है |
  69. मालकांगनी तेल – पेनिस में तनाव की समस्या होने पर पेनिस पर मालिश करने से लाभ मिलता है |
  70. तालमखाना चूर्ण – तालमखाना चूर्ण में सफेद मूसली, अश्वगंधा चूर्ण, को बराबर मात्रा में मिलाकर दूध के साथ सेवन करने से नपुंसकता में लाभ मिलता है |
  71. स्वर्ण मदन पिल्स – यह वाजीकरण योग है लेंगिक, पेनिस की शिथिलता,वीर्य की कमी आदि को सुधरने में लाभदायक परिणाम देता है |
  72. शुद्ध शिलाजीत – शुद्ध शिलाजीत का सेवन करने से वाजीकरण शक्ति बढती है इसका सेवन करने से मूत्र रोग, शुक्र की कमी, नपुंसकता आदि में लाभ मिलता है |
  73. विगोरिना टेबलेट – शारीरिक, मानसिक स्नायु सम्बन्धी कमजोरी से उत्पन्न नपुंसकता में दिन में दो बार दूध के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है |
  74. सुपरटोन कैप्सूल – मधुमेह संबंदी नपुंसकता में 1-2 कैप्सूल का सेवन आवले के मुरब्बे के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है |
  75. वाजीकरण शॉट – वाजीकरण शॉट का सेवन दिन में दो बार सेवन करने से पहले ही दिन से आपका शारीरिक बल बदने से वाजीकरण शक्ति बढ़ जाती है साथ ही शीघ्रपतन की समस्या में लाभ मिलता है | वीर्य पुष्ट होकर नपुंसकता सम्बन्धी विकार ठीक होते है | अधिक यहाँ पढ़े – वाजीकरण शॉट के फायदे , घटक द्रव व सेवन विधि
  76. सिंगल शॉट -सिंगल शॉट का सेवन करने से एक शॉट के सेवन करने के बाद ही आपकी वाजीकरण शक्ति और शारीरिक शक्ति बढ़ जाती है | वीर्य विकार व वाजीकरण शक्ति जनित नपुंसकता में लाभ मिलता है | यौन दुर्बलता या वाजीकरण शक्ति बढ़ाने में सिंगल शॉट (DrFindu Singal Shot ) के फायदे
  77. कामसुधा योग कैप्सूल – नसों की कमजोरी, स्पर्म की कमी, वाजीकरण शक्ति बढ़ाने के लिए कामसुधा योग कैप्सूल दिन में दो बार दूध के साथ सेवन करने से नपुंसकता में फायदे मिलते है | अधिक पढ़े – कामसुधा योग कैप्सूल का घटक द्रव्य और फायदे (kamsudha yog capsule ingredients and benefits in hindi)
  78. जॉइंट स्टैमिना कैप्सूल – शुक्राणुओ की कमी, शीघ्रपतन की समस्या, पेनिस में तनाव की समस्या, मधुमेह जनित नपुंसकता में जॉइंट स्टैमिना कैप्सूल का सेवन शहद मिले हुए दूध के साथ दिन में दो बार सेवन करने से वाजीकरण शक्ति बढ़ जाती है जिससे नपुंसकता में लाभ मिलता है | यहा पढ़े – जॉइंट स्टैमिना कैप्सूल के घटक द्रव फायदे और नुकसान
  79. एनर्जी फोर्ट कैप्सूल – यह कैप्सूल स्त्री और पुरुष दोनों की नपुंसकता के लिए उपयोगी साबित होता है | 2 कैप्सूल सोने से पहले दूध की मलाई के साथ सेवन करे |
  80. द्राक्षाटोन – शारीरिक मानसिक और स्नायु सम्बन्धी कमजोरी को दूर करने वाला बल वृद्धि, नपुंसकता मधुमेह जनित में लाभदायक है |
  81. थ्री नॉट थ्री कैप्सूल – पुरुषो के लिए शक्ति वर्धक, शुक्रवर्धक, स्नायु दौर्बल्य, आधी में लाभदायक है |
  82. स्वप्न प्रमेहारी चूर्ण – मूत्र सम्बन्धी रोग, मूत्र विकार,पेशाब की जलन पेशाब में धातु जाना आदि में लाभदायक है |
  83. स्पेमन टेबलेट – पौरुष ग्रंथि की सामान्य वृद्धि शुक्राणुओ की कमी, अविकसित मैथुन सहक्ति में सुधार करके नपुंसकता में लाभदायक परिणाम देता है |
  84. विगोरेक्स टेबलेट – वाजीकरण शक्ति बढ़ाने, पेनिस की कमजोरी, नपुंसकता में 1-2 टेबलेट दूध के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है |
  85. सेक्सो टेक्स टेबलेट – इसके 1-2 टेबलेट का सेवन दूध के साथ करने से मैथुन केन्द्रों से सम्बंधित अनुत्तेजना , त्रिप्री अवम आनंद की अनुभूति दिलाती है |
  86. शर्बत शिलाजीत पेय – पौरुषवर्धक, स्नायु दौर्बल्य,वीर्यवर्धक, मानसिक दुर्बलता, धातुदोष अदि को ठीक कर सकती है |
  87. स्वप्न चिंतामणि चक्रिका – जिन पुरुषो को निरंतर स्वपन दोष की समस्या बनी रहती है , प्रमेह, मूत्र रोग, वीर्य दोष, पेनिस में तनाव की कमी शुक्राणुओ की संख्या में कमी नपुंसकता में 1-2 टिकिया दूध की मलाई और राबड़ी के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है |
  88. ओकरसा फोर्ट कैप्सूल – स्वास्थ्यवर्धज्क ,इसके सेवन से स्वप्न दोष, स्नायु सम्बन्धी कमजोरी, नपुंसकता वीर्यदोष आदि में लाभदायक परिणाम है 1-2 टेबलेट दूध के साथ सेवन करे |
  89. अल्फ़ा टेबलेट -इसके सेवन से पोषक तत्वों की कमिस इ उत्पन्न हुई नपुंसकता का नाश होता है | 1-2 टेबलेट सुबह शाम सेवन करे |
  90. बजरंग तिला – सम्भोग में असमर्थता पेनिस की शिथिलता, इंद्री का टेडापन , नपुंसकता, मूत्र रोग आदि में लाभ प्रदान करती है | इसका प्रयोग सम्भोग से पूर्व करे |
  91. वीटाप्लेक्स टेबलेट – नष्ट हुए वीर्य को पोषण देने में बल देने में सम्भोग की असमर्थता को जीवित करके नपुंसकता को ठीक कर सकता है |
  92. अमिवीटा फोर्ट कैप्सूल – उत्तम वाजीकरण औषधि है यह केवल सर्दियों में ही सेवन करने हेतु निर्देशित किया जाता है | 1-2 कैप्सूल दूध के साथ सेवन करे |
  93. चतुर्जातक रसायन – यह भांग आधारित रसायन है इसका सेवन केवल चिकित्सक से परामर्श लेने के बाद ही सेवन करे 2 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ सेवन करे |
  94. मदनकामेश्वर – आयुर्वेद शास्त्रों में भांग आधारित योग है इसका सेवन 1-2 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ करने से ना[नपुंसकता में लाभदायक परिणाम देता है |
  95. मेनसूत्रा लेहम – मेनसूत्रा लेह हाल ही में पेटेंट करवाई आयुर्वेद औषधि है यह भी भांग आधारित औषधियो है इसका सेवन चिकित्सक से परामर्श लेने के बाद ही करे | 1-2 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ सेवन करे | इस औषधि में चतुर्जात रसायन और मदनकामेश्वर रसायन दोनों का मिश्रण करके निर्माण किया गया है |
  96. कामराज कैप्सूल – यह वाजीकरण शक्ति को बढ़ाने में महत्वपूर्ण औषधि में इसके सेवन की विधि 1-2 कैप्सूल दिन में दो बार दूध में साथ करे |
  97. नपुंसकत्वारी टेबलेट – यह नपुंसकता के लिए ही तैयार की गयी आयुर्वेद औषधि है इसका सेवन -2 वटी दिन में दो बार करने से नपुंसकता में लाभ मिलता है |
  98. रसायन वटी – जो पुरुष सम्भोग को लेकर आत्मविश्वास को चुके हो उनके लिए आचार्यो ने रसायन वटी का निर्देश दिया है | धातु पोषण, वीर्य की कमी, नपुंसकता को ठीक करने में 2-2 वटी दूध के साथ सेवन करे |
  99. सिद्ध चंद्रोदय वटी – उत्तम पोष्टिक, नामर्दी, थकावट, वीर्यवर्धक, बलवर्धक वृद्ध लोगो में भी प्रभावशाली औषधि है | 2-2 वटी दिन में दो बार दूध के साथ सेवन करे |
  100. शक्ति विकास पेय – इसका सेवन किसी रोग के बाद उत्पन्न हुई नपुंसकता को ठीक करने के लिए करवाया जाता है | 2-4 चम्मच दिन में तिन बार तक सेवन करवाया जा सकता है |
  101. पालारिविन माइल्ड टेबलेट – इसका सेवन गैर असंतुलित हार्मोन्स प्रभाव में करवाया जाता है |जीज पुरुषो में विलम्ब से वीर्य स्खलित होता हो, महिलाओ में कामवासना का अभाव, हीनता दुर्बलता, समय से पहले बुढ़ापा आना में 2-6 टिकिया दिनभर में सेवन करने से लाभ मिलता है |

आगे इस आर्टिकल में बात करेंगे कुछ महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक घरेलू उपाय के बारे में जो नपुंसकता के 101 आयुर्वेदिक उपचार में से एक दूसरी औषधियों के साथ मिलकर अधिक प्रभावशाली परिणाम देती है |

नपुंसकता नाशक आयुर्वेदिक घरेलू उपाय

  1. सफेद प्याज का रस एक चम्मच, गाय का घी एक चम्मच, शहद आधा चम्मच की मात्रा में मिलाकर सुबह शाम खाने से 30 मिनट पहले चाटने से हस्तमैथुन से उत्पन्न हुई नपुंसकता में राहत मिलती है |
  2. अकरकरा 3 ग्राम, धतूरे के बीज 2 ग्राम, लोंग 2 ग्राम लेकर पानी के साथ लगभग 65 मिग्रा की गोलियां बना ले | एक एक गोली सुबह शाम दूध के साथ सेवन करे |
  3. गोखरू, ईरानी अकरकरा, देसी खांड समान भाग लेकर लड्डू बनाये एक लड्डू रोज सोने से पहले दूध के साथ सेवन करने से स्पर्म की गुणवत्ता में सुधार होता है जिससे वीर्यदोष से उत्पन्न नपुंसकता में लाभ मिलता है |
  4. नपुंसकता में वट दूध बहुत लाभदायक सिद्ध होता है | 5 बूँद वट दूध की पताशे में डालकर प्रात:काल सेवन करने से नपुंसकता और शीघ्रपतन में लाभ मिलता है |
  5. इलायची 1 ग्राम,जावित्री 1 ग्राम , बादाम 10 ग्राम की मात्रा में लेकर थोडा थोडा पानी डालते हुए बिलकुल बारीक़ चटनी बना ले | इस चटनी को सुबह शाम गाय के मक्खन में मिश्री मिलाकर सुबह शाम सेवन करने से वीर्य की पुष्टि होती है | वीर्य पुष्ट होने से शीघ्रपतन व नपुंसकता में प्रभावी परिणाम मिलते है |
  6. काले उड़द की दाल बिना छिलके वाली 1 किलो में प्याज का रस 1 किलो मिलाकर सूखा ले | ऐसा 21 दिन तक नियमित करना है | जब 21 दिन पूरे हो जाये तो सूखा कर रख ले | इसका सेवन नियमित 20 दिनों तक 20 ग्राम दाल को 500 मिली दूध में हल्की आंच पर पकाए उसमे एक चम्मच घी, दो चम्मच देशी शक्कर मिलाकर सुबह सेवन करने से वीर्य दोष जनित नपुंसकता दूर हो जाती है और शरीर हष्ट पुष्ट बन जाता है |
  7. सफेद प्याज का रस, 5 मिली, घी 3 मिली,शहद 5 मिली , अदरक का रस 5 मिली की मात्रा में लेकर किसी बर्तन में लेकर 2 महीने तक रख दे | इस प्रयोग को लगातार दो महीने तक करने से नपुंसक पुरुष भी नामर्द से मर्द बन जाता है |
  8. हस्तमैथुन से पैदा हुई नपुंसकता में चमेली के तेल से लिंग पर मसाज करने से नपुंसकता में फायदेमंद होता है |
  9. सूखी हुई शकरकंद के आटे में घी और शक्कर के साथ हलवा बनाकर खाने से वीर्य पुष्ट होता है |
  10. तुलसी के रस में 65 मिग्रा वंग भस्म मिलाकर चाटने से नपुंसकता में लाभ मिल सकता है |

Dr Ramhari Meena

Founder & CEO - Shri Dayal Natural Spine Care. Chairmen - Divya Dayal Foundation (Trust) Founder & CEO - DrFindu Wellness

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Dr Ramhari Meena

Founder & CEO - Shri Dayal Natural Spine Care. Chairmen - Divya Dayal Foundation (Trust) Founder & CEO - DrFindu Wellness

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